सोमवार, 28 दिसंबर 2009

मानसवार्ता

मानसवार्ता
मनोविज्ञान के बारे में कुछ बातचीत करने, कुछ समझने और समझाने का उद्देश्य लेकर यह ब्लागवार्ता "मानसवार्ता" के नाम से आपके सामने उपस्थित है। भारत में ही नहीं पूरे विश्व में मनोविज्ञान की उपस्थिति बहुत दिन से नहीं है अर्थात यह ज्ञान परम्परा अभी शैशवावस्था में ही है। ब्लागविधा भी अति नवीन है। इस ब्लॉग का लेखक तो इस विधा में अभी प्रवेश कर रहा है । ऎसी स्थिति में त्रुटियों की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन त्रुटियों के डर से कार्य आरम्भ न करना तो और भी अनुचित है।

मनोविज्ञान किसे कहते हैं?
मनोविज्ञान ज्ञान की एक परम्परा है जिसमें हम व्यवहार एवं मानसिक प्रक्रमों का वैज्ञानिक अध्ययन करते हैं। यहाँ व्यवहार से तात्पर्य उन सभी प्रकट क्रियाओं, अनुक्रियाओं जैसे बात करना, हावभाव, चलना, और खाना आदि से है। मस्तिष्क में चलने वाली अप्रकट क्रियाएं जैसे चिंतन, अनुभूति और स्मरण आदि।

यहाँ जो परिभाषा दी गयी है वह एक कामचलाऊ परिभाषा है। क्योंकि जैसे जैसे किसी विषय का ज्ञान बढ़ता है वैसे वैसे परिभाषा में परिवर्तन करना पड़ता है। मनोविज्ञान की पहली परिभाषा से आज तक जितनी भी परिभाषाएँ विभिन्न वैज्ञानिकों ने दी हैं उसके आधार पर सर्वमान्य परिभाषा बताना एक कठिन या असंभव कार्य है इस लिए कामचलाऊ परिभाषा से ही काम चलाया जाय ।

मनोविज्ञान क्यों पढ़े ?
१- व्यवहार का वर्णन करने के लिए।( क्या और कैसे ?)
२- व्यवहार की व्याख्या के लिए। ( क्यों ?)
३- व्यवहार के पूर्वानुमान के लिए। ( फिर कब और कैसे ?)
४- व्यवहार के नियंत्रण के लिए। ( कैसे बदलें ?)